तेरे जैसे हरामखोरों को तो टोपी भी नहीं मिलती,
क्योंकि औकात से ज़्यादा अकड़ लिए फिरते हो गधे कहीं के।
हर बात पे उछलता है जैसे भाँग पी आया हो,
चुप बैठ चूतिये, वरना चप्पल से बजा दूँगा।
तेरी शक्ल देख के लगता है,
भगवान ने भी तुझे गाली देकर पैदा किया होगा।
हरामज़ादे तू बातों से नहीं सुधरता,
लगता है तुझे लातों का ही शौक है।
साले जब देखो बकवास करता है,
तेरे लिए तो गाली भी कम पड़ जाए।
कमीने तेरे जैसे तो हर गली में भौंकते हैं,
हम जैसे लोग सिर्फ चुपचाप मारते हैं।
गधे की औलाद, अकड़ ऐसे दिखाता है
जैसे मम्मी तेरे नाम की वसीयत लिख गई हो।
भोसड़ी के, जब देखो बातें बड़ी-बड़ी,
काम में निकम्मा और अकड़ जैसे नवाब की।
तेरे जैसे हरामी को देखकर तो
चप्पल खुद-ब-खुद पैर से उतर जाती है।
तेरे मुंह से तो बदबू भी गाली की तरह आती है,
साले तू इंसान कम और मुसीबत ज़्यादा है।
तेरे जैसे चुतिये को देख के
बंदर भी बोले – “भाई हम तो तुझसे बेहतर हैं!”
हरामखोर, तू औकात से बाहर मत जा,
वरना वहीं मारूंगा जहाँ से सोच भी नहीं पाएगा।
साले तू तो वो बीमारी है,
जिसका इलाज डॉक्टर भी छोड़ देते हैं।
तू जितना बोलेगा, उतना ज़्यादा लात खाएगा,
क्योंकि तेरी बकवास अब सुनाई नहीं, जलाई जाती है।
चूतिये तेरे जैसे लोगों को देख के
गालियाँ भी शर्मा जाती हैं।
हरामखोर, तेरी शक्ल ऐसी है
कि कुत्ते भी देखकर भौंकना छोड़ दें।
तेरे जैसी औकात होती तो सड़क पर भीख मांग लेता,
कम से कम गाली से अच्छा कुछ मिल जाता।
तेरे जैसे भोसड़ी के को देख के लगता है,
कचरा भी बोलता होगा – “मैं इससे साफ हूँ!”
तू जितना सड़ा हुआ इंसान है,
उतनी तो गटर भी साफ दिखती है।
हरामी तू पैदा ही गाली खाने के लिए हुआ है,
वरना कोई तुझसे बात भी ना करे।
