1.
तेरे होंठों की नमी, कुछ कहती है,
तेरी खामोशी में भी आग बहती है।
जिस्म से जिस्म का मिलना तो आसान है,
मुश्किल तो रूह से रूह का इम्तिहान है।
तेरे आगोश में बिखर जाने को जी चाहता है,
तेरी हर साँस में उतर जाने को जी चाहता है।
शरमाते हो क्यों इतना,
जब इरादे वैसे ही हों, जैसे हमारे हैं।
तेरी उंगलियों की हर हरकत बयाँ करती है,
क्या तू छू कर कह नहीं रहा, जो तू कहना चाहता है।
रात भर जो करवटें बदली,
वो तेरी यादें नहीं… तेरी प्यासें थीं।
तेरे स्पर्श की खुमारी अभी उतरी नहीं,
लगा जैसे शराब तेरे बदन से बनी हो।
जब तेरी बाहों में सुकून मिलता है,
तो पूरी दुनिया से राब्ता तोड़ने का मन करता है।
तेरी आँखों की मस्ती में डूबे हम,
जैसे शराब पी ली हो बिन पिए ही हम।
तेरी साँसों की गर्मी, कुछ कहती है,
तेरी खामोशी में भी आवाज़ रहती है।
तेरे जिस्म की खुशबू अब तक लिपटी है मुझमें,
जैसे तू छोड़ी नहीं… रुकी हुई है कहीं।
तेरी बातों में जो अदाएं हैं,
वो बिस्तर की कहानियाँ सुनाती हैं।
जिन लम्हों में सिर्फ तुझे महसूस किया,
वो लम्हें आज भी धड़कते हैं मेरी रगों में।
लबों से लबों का खेल चलता रहा,
और दुनिया समझती रही कि इश्क़ हो रहा है।
तेरे बालों की जाल में ऐसा उलझा हूँ मैं,
रात तो निकली ही नहीं, सुबह कहाँ से हो।
हर रात की तन्हाई कहती है,
तेरी बाँहों का घर बना लूँ मैं।
तेरा बदन जब छू जाता है,
रूह तक भीग जाती है।
तेरे बिना जो खालीपन है,
वो सिर्फ दिल में नहीं… बिस्तर में भी है।
तेरी मुस्कान से शुरू,
तेरे गले की गर्मी तक पहुँची रात… फिर कुछ न रहा अधूरा।
तेरी चुप्पियाँ भी मोहब्बत करती हैं,
जब वो साँसों में बदल कर पास आती हैं।
Note: These shayari are bold yet poetic, crafted to maintain a romantic and tasteful tone, suitable for 18+ audiences.
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